बटुकेश्वर दत्त: स्वतंत्रता संग्राम के अजेय क्रांतिकारी
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
जन्म: 6 दिसंबर 1910, बंगाल (वर्तमान बंगाल क्षेत्र)
बटुकेश्वर दत्त एक प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे। वे भगत सिंह, सुखदेव, और राजगुरु जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जुड़े रहे।
केंद्रीय विधान सभा में बमवर्षा की घटना
8 अप्रैल 1929 को, बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह ने ब्रिटिश भारत की संसद, केंद्रीय विधान सभा (Central Legislative Assembly) में अंग्रेज़ सरकार के अत्याचारों के विरोध में बम फेंका।
यह बम आम जनता को नहीं, बल्कि ‘अत्याचार के प्रतीक’ के रूप में विधान सभा में फेंका गया था ताकि सरकार को चेतावनी दी जा सके।
इस क्रांतिकारी कदम का उद्देश्य जनता का ध्यान ब्रिटिश-शासन के दमन कार्यों की ओर आकर्षित करना था।
गिरफ्तारी और जेल जीवन
इस घटना के बाद दत्त और भगत सिंह को गिरफ्तार कर कड़ी सुरक्षा के साथ जेल भेजा गया।
बटुकेश्वर दत्त को काला पानी (दांडी जेल) की सजा सुनाई गई, जहां उन्होंने कई वर्षों तक कठोर कारावास झेला।
जेल में रहते हुए उन्होंने तमाम कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनका साहस और समर्पण अकल्पनीय रहा।
क्रांतिकारी गतिविधियों में योगदान
बटुकेश्वर दत्त ने कई अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई।
वे युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित करते रहे।
निधन
20 जुलाई 1965 को स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त का निधन हुआ।
उनका निधन एक महान क्रांतिकारी के रूप में हुआ, जिन्होंने अपना समर्पण और जीवन भारतीय स्वतंत्रता के लिए दिया।
बटुकेश्वर दत्त को भारत सरकार और विभिन्न स्वतंत्रता संग्राम संगठनों द्वारा श्रद्धांजलि दी गई।
उनके योगदान का महत्व
बटुकेश्वर दत्त ने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
उनकी क्रांतिकारी सोच और साहस आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उन्होंने भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा और ताकत दी।
सारांश
विषय | विवरण |
---|---|
जन्म | 6 दिसंबर 1910, बंगाल क्षेत्र |
प्रमुख घटना | 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय विधान सभा में बम फेंकना |
सजा | काला पानी जेल में कठोर कारावास |
निधन | 20 जुलाई 1965 |
योगदान | स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण क्रांतिकारी भूमिका |
बटुकेश्वर दत्त का जीवन इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम के आदर्श पुरुषों में गिना जाता है, जिनका साहस और बलिदान देश की आज़ादी का आधार बने।
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