भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत से लेकर उसे आकाशवाणी नाम मिलने तक का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है:
भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत से लेकर उसे आकाशवाणी नाम मिलने तक का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है:
📻 भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत और आकाशवाणी का विकास – विस्तृत विवरण
🔹 प्रारंभिक दौर (1920 का दशक)
भारत में रेडियो का आरंभ 1920 के दशक में हुआ, जब रेडियो एक नवीन तकनीक के रूप में दुनिया में उभर रहा था। रेडियो ने भारत में भी धीरे-धीरे जनसंचार के एक महत्वपूर्ण माध्यम का रूप लेना शुरू किया।
🗓️ 1923 – पहला रेडियो प्रसारण प्रयास
भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत 1923 में निजी रूप से की गई थी।
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कुछ शौकिया रेडियो क्लबों द्वारा बंबई (अब मुंबई) और कलकत्ता (अब कोलकाता) में प्रसारण की शुरुआत की गई थी।
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यह प्रसारण अत्यंत सीमित और तकनीकी रूप से शुरुआती अवस्था में था।
🏛️ 1927 – इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी (IBC)
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23 जुलाई 1927 को मुंबई और कोलकाता में “इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी” (IBC) नामक संस्था ने औपचारिक रूप से रेडियो सेवा शुरू की।
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इसका मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में मनोरंजन, संगीत, समाचार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रसारण करना था।
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हालांकि यह एक निजी संस्था थी, लेकिन इसे ब्रिटिश सरकार का समर्थन प्राप्त था।
🔄 IBC की विफलता और सरकारी नियंत्रण
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1930 में वित्तीय कठिनाइयों के कारण IBC बंद हो गई।
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इसके बाद 1 अप्रैल 1930 को ब्रिटिश सरकार ने इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया और इसे “इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस” (ISBS) नाम दिया।
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यह सेवा भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण विभाग के अधीन संचालित होने लगी।
📢 आकाशवाणी का जन्म – 1936
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8 जून 1936 को ISBS का नाम बदलकर आधिकारिक रूप से “ऑल इंडिया रेडियो (AIR)” रखा गया।
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हिंदी में इसे “आकाशवाणी” नाम दिया गया। यह नाम प्रख्यात कवि पंडित नरेंद्र शर्मा द्वारा सुझाया गया था, जिसका अर्थ है "आकाश से आने वाली वाणी"।
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यहीं से भारत में रेडियो ने अपनी सशक्त सांस्कृतिक और राष्ट्रीय भूमिका निभाना शुरू किया।
📡 आकाशवाणी की भूमिका और विस्तार
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आकाशवाणी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, संस्कृति, शिक्षा, कृषि, संगीत, साहित्य और समाचार के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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आजादी के आंदोलन में यह देशभक्ति गीतों, भाषणों और जनजागरण का एक प्रभावी माध्यम बना।
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स्वतंत्रता के बाद यह ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचने वाला सबसे सशक्त माध्यम बन गया।
🎙️ महत्त्वपूर्ण रेडियो केंद्र और कार्यक्रम
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स्वतंत्रता के समय तक दिल्ली, लखनऊ, पटना, चेन्नई, और लाहौर में प्रमुख रेडियो केंद्र स्थापित हो चुके थे।
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बाद में “मन की बात”, “राष्ट्रीय समाचार”, “विविध भारती”, “फूलवारी”, और “युववाणी” जैसे कार्यक्रम लोकप्रिय हुए।
✍️ निष्कर्ष:
भारत में रेडियो की यात्रा 1923 के शौकिया प्रसारण से शुरू होकर आकाशवाणी जैसे राष्ट्रव्यापी संगठन तक पहुँची। यह न केवल एक सूचना और मनोरंजन का माध्यम रहा, बल्कि भारत की एकता, सांस्कृतिक विविधता और जनचेतना को जोड़ने वाली 'आवाज़ की शक्ति' भी बना। आज भी आकाशवाणी देश के हर कोने में सुनी जाती है और यह भारत के सर्वाधिक विश्वसनीय प्रसारण माध्यमों में से एक है।
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