डॉ. मनमोहन सिंह का अमेरिकी कांग्रेस को संबोधन, भारत के 13वें प्रधानमंत्री, ने 19 जुलाई 2005 को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया था। यह अवसर भारत-अमेरिका संबंधों के इतिहास में एक बड़ा और सम्मानजनक पल था।
संबोधन के मुख्य बिंदु
दिनांक: 19 जुलाई 2005
स्थान: अमेरिकी कांग्रेस, वाशिंगटन डीसी
सम्मान: संयुक्त अधिवेशन द्वारा स्टैंडिंग ओवेशन
भाषण की प्रमुख बातें
डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत-अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्यों, आपसी सहयोग, आर्थिक साझेदारी तथा वैश्विक शांति पर जोर दिया।
अपने संबोधन में उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को “स्वाभाविक साझेदार” (Natural Partners) बताया और इन संबंधों को मजबूत करने का संकल्प जाहिर किया।
उन्होंने महात्मा गांधी और पंडित नेहरू जैसे भारतीय नेताओं का उल्लेख किया तथा अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय आज़ादी के साझा मूल्यों पर बल दिया।
डॉ. सिंह ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के सहयोग की सराहना की और दोनों देशों के बीच नागरिक परमाणु सहयोग समझौते (Civil Nuclear Agreement) की दिशा में आगे बढ़ने की बात कही।
आतंकवाद के वैश्विक खतरे के प्रति मिलकर संघर्ष करने की जरूरत को रेखांकित किया।
ऐतिहासिक महत्व
डॉ. मनमोहन सिंह अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करने वाले भारत के तीसरे प्रधानमंत्री बने थे।
उनके भाषण को अमेरिका और भारत द्वारा अत्यंत सम्मान दिया गया—पूरे अधिवेशन ने खड़े होकर स्वागत किया।
इस संबोधन के बाद भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु समझौते की दिशा में तेज़ी आई, जिसने द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊर्जा भरी।
उल्लेखनीय तथ्य
तत्व | विवरण |
---|---|
भाषण की लंबाई | लगभग 3,264 शब्द |
संबोधन का विषय | लोकतंत्र, आतंकवाद, परमाणु सहयोग, शांति |
ऐतिहासिक संदर्भ | स्वतंत्रता संग्राम, लोकतांत्रिक साझेदारी |
प्रभाव | द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा एवं मजबूती |
डॉ. मनमोहन सिंह का यह संबोधन भारत-अमेरिकन संबंधों के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है, जिसने दोनों लोकतंत्रों के बीच साझेदारी को एक नई ऊंचाई दी।
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