1875: जिम कॉर्बेट, प्रकृति प्रेमी और लेखक (भारत).

 जिम कॉर्बेट: प्रकृति प्रेमी, लेखक और वन्यजीवन के संरक्षक

जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को ब्रिटिश भारत के नैनीताल (वर्तमान उत्तराखंड) में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध शिकारी, प्रकृति प्रेमी, लेखक, और वन्यजीवन संरक्षण के अग्रदूत थे। कॉर्बेट को मुख्यतः भारत में आदमखोर बाघों और शेरों का शिकार करने के लिए जाना जाता है, जिन्होंने स्थानीय लोगों को इस भयावह समस्या से मुक्ति दिलाई।

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि:

जिम कॉर्बेट का पूरा नाम एडविन रैंथम कॉर्बेट था। उन्होंने युवावस्था में ही शिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई। नैनीताल की पहाड़ियों में वे पेड़-पक्षियों और जीव-जंतुओं के प्रति गहरा लगाव रखते थे।

शिकारी से संरक्षक तक का सफर:

  • कॉर्बेट ने कई खतरनाक आदमखोर बाघों और शेरों का सफलतापूर्वक शिकार कर स्थानीय लोगों की जान बचाई। खासकर रामनगर क्षेत्र में उनका नाम काफी प्रसिद्ध हुआ।

  • हालांकि, बाद में वे वन्यजीवन संरक्षण की दिशा में अग्रसर हुए और जंगलों तथा जंगली जीवन के संरक्षक बन गए।

  • उन्होंने वन्यजीवों और उनके आवास के महत्व को समझा और संरक्षण के लिए सक्रिय प्रयास किए।

वन्यजीवन संरक्षण और योगदान:

  • जिम कॉर्बेट ने भारत के पहले राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। यह पार्क उनके नाम पर ‘जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क’ के नाम से जाना जाता है, जो उत्तराखंड में स्थित है और टाइगर रिजर्व के रूप में भी प्रसिद्ध है।

  • उन्होंने राजसी शासन प्रशासन और ब्रिटिश सरकार को वन संरक्षण के महत्व के प्रति जागरूक किया।

  • वन्यजीवन के प्रति उनके प्रयासों से भारत में संरक्षण आंदोलन को बल मिला।

साहित्यिक कार्य:

  • जिम कॉर्बेट ने अपने अनुभवों को कई पुस्तकों, खासकर ‘माय इंडिया’ (My India) और ‘द हिंदू टाइगर’ (The Man-Eating Leopard of Rudraprayag) में लिखा। इन ग्रंथों में उन्होंने वन जीवन, जंगली जानवरों और अपने रोमांचक शिकार अनुभवों का विवरण दिया।

  • उनकी लेखनी से भारतीय वन और जीव संरक्षण में नवीन जागरूकता आई।

व्यक्तिगत जीवन और विरासत:

  • कॉर्बेट का जीवन प्रकृति से गहरे जुड़ा हुआ था। वे सरल जीवनशैली अपनाते थे और जंगलों में समय बिताना पसंद करते थे।

  • उनकी मौत 19 अप्रैल 1955 को हुई, लेकिन उनका नाम वन संरक्षण के इतिहास में अमर हो गया।

  • आज भी जिम कॉर्बेट को भारत में वन और जीव संरक्षण के क्षेत्र में एक अग्रणी प्रयासकर्ता के रूप में सम्मानित किया जाता है।

निष्कर्ष:

जिम कॉर्बेट एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे जिन्होंने प्रकृति प्रेम को अपने जीवन का मिशन बनाया। उन्होंने पहले आदमखोर जानवरों से मानव समुदाय की रक्षा की और बाद में जंगली जीवों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी लिखाई और संरक्षण कार्य आज भी वन्यजीवन संरक्षण के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। जिम कॉर्बेट का योगदान भारत के प्राकृतिक और सांस्कृतिक इतिहास में गहरा और स्थायी प्रभाव छोड़ गया है।

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