1977: नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति बने.
नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति (1977-1982)
नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई 1977 को भारत के छठे राष्ट्रपति के रूप में निर्विरोध चुने गए। वे भारतीय राजनीति के एक वरिष्ठ और अनुभवी नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। रेड्डी भारत के पहले गैर-कांग्रेसी राष्ट्रपति थे, क्योंकि वे जनता पार्टी के समर्थन से चुने गए थे। उन्होंने एक कठिन राजनीतिक दौर में राष्ट्रपति पद संभाला था, जब देश इमरजेंसी (1975-1977) के बाद लोकतंत्र को पुनः स्थापित कर रहा था।
प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक सफर:
नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई 1913 को हुआ था। वे आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने और बाद में लोकसभा के अध्यक्ष तथा केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहे। उनके राजनीतिक करियर ने उन्हें एक प्रखर समर्पित नेता के रूप में स्थापित किया जो संवैधानिक कार्यों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध थे।
राष्ट्रपति पद का कार्यकाल:
उन्होंने 25 जुलाई 1977 को भारत के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और 25 जुलाई 1982 तक यह पद संभाला।
भारत के सातवें, आठवें और नौवें प्रधानमंत्री (मोरारजी देसाई, चरण सिंह और इंदिरा गांधी) के साथ उनका कार्यकाल संबंधी अनुभव रहा, जिसने उन्हें राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में सक्षम बनाया।
उनके कार्यकाल में भारत ने कई महत्वपूर्ण आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना किया। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने संविधान के प्रति गहरी निष्ठा और समर्पण दिखाया।
नीलम संजीव रेड्डी की अध्यक्षता में राष्ट्रपति पद ने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और लोकतांत्रिक ढांचे के सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महत्वपूर्ण तथ्य:
वह पहले निर्विरोध चुने गए राष्ट्रपति थे।
उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की परंपरा को 25 जुलाई को स्थापित किया, जो बाद में कई अन्य राष्ट्रपति भी अपनाते रहे।
रेड्डी की व्यक्तिगत विनम्रता, धैर्य और संविधान के प्रति सम्मान ने उन्हें देश का लोकप्रिय राष्ट्रपति बनाया।
निष्कर्ष:
नीलम संजीव रेड्डी का राष्ट्रपति पद पर कार्यकाल भारतीय लोकतंत्र के लिए एक स्थिर एवं संवैधानिक नेतृत्व का उदाहरण था। उन्होंने एक संवैधानिक रक्षक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया और भारतीय राजनीति को महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलावों के समय मार्गदर्शन दिया। उनकी विरासत आज भी भारत के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
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