1997: के.आर. नारायणन भारत के 10वें राष्ट्रपति बने.
के.आर. नारायणन: भारत के दसवें राष्ट्रपति (1997-2002)
कोचेरिल रामन्न नारायणन, जिन्हें के.आर. नारायणन के नाम से जाना जाता है, 25 जुलाई 1997 को भारत के दसवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की। उनका कार्यकाल 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक चला। वे भारतीय राजनीति के एक प्रतिष्ठित और गुणी नेतृत्वकर्ता थे तथा भारतीय इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो दलित समुदाय से संबंध रखते थे, जो उनकी पहचान को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
के.आर. नारायणन का जन्म 27 अक्टूबर 1920 को केरल के मन्नार में हुआ था।
उन्होंने प्रिंसिपल कॉलेज, आंद्रा प्रदेश से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की।
बाद में उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की।
उन्होंने विदेश सेवा में भर्ती होकर भारत के विभिन्न देशों में राजनयिक के रूप में कार्य किया।
राजनयिक और राजनीतिक करियर:
नारायणन ने अपनी करियर की शुरुआत भारतीय विदेश सेवा (IFS) से की, जहाँ उन्होंने कई देशों में भारत के राजदूत के रूप में काम किया।
वे 1977 से 1980 तक भारत सरकार में नीति आयोग के सदस्य और उच्च पदों पर रहे।
1992 से 1997 तक उन्होंने भारत के बारहवें उपराष्ट्रपति का पद संभाला।
उन्होंने अपने वक्तृत्व और नैतिकता के लिए व्यापक सम्मान प्राप्त किया।
राष्ट्रपति पद का कार्यकाल और योगदान:
1997 में वे निर्विरोध भारत के राष्ट्रपति बने।
उनका राष्ट्रपति कार्यकाल राजनीतिक रूप से गतिशील था, जिसमें कई दल और सरकारें आईं और गईं।
वे संविधान की रक्षा और संवैधानिक मर्यादाओं का सख्ती से पालन करने वाले नेता माने जाते थे।
सामाजिक एकता, समानता और आर्थिक विकास के लिए उन्होंने कई अवसरों पर भाषण दिए और सक्रिय भूमिका निभाई।
उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों और सम्मान के लिए लगातार प्रेरणा दी।
नारायणन ने लोकतंत्र के मूल्यों को मजबूत करने और मानवाधिकारों के संरक्षण पर विशेष जोर दिया।
व्यक्तित्व और छवि:
वे एक सरल जीवनशैली अपनाने वाले, विनम्र और बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे।
उनकी भाषण कला और विचारशीलता ने उन्हें देश के सभी वर्गों में लोकप्रिय बनाया।
उन्होंने राष्ट्रपति पद को एक समावेशी और संवैधानिक संस्था के रूप में स्थापित किया।
अनूठी उपलब्धियाँ:
भारत के पहले दलित राष्ट्रपति थे, जो सामाजिक न्याय और समतावाद की दिशा में एक प्रतीक बने।
राजनयिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनकी गहरी समझ ने उन्हें देश के लिए एक मूल्यवान नेता बनाया।
बाद का जीवन और विरासत:
2002 में राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हुए।
2005 में उन्होंने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न, से सम्मानित किए गए।
के.आर. नारायणन का निधन 9 नवंबर 2005 को हुआ, लेकिन उनका योगदान आज भी भारतीय राजनीति और समाज में जीवित है।
निष्कर्ष:
के.आर. नारायणन का राष्ट्रपति पद भारत के लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं का सम्मान करते हुए समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की पैरवी की। उनकी सादगी, दूरदर्शिता और जनता के प्रति समर्पण भारतीय राष्ट्र के लिए प्रेरणादायक रहा। उनका कार्यकाल सीखने और नेतृत्व की मिसाल बना।
Comments
Post a Comment