पाकिस्तान से आए प्रवासियों के लिए परमिट सिस्टम भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद बड़ी संख्या में लोग दोनों देशों में प्रवास कर रहे थे। इस प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने एक परमिट सिस्टम लागू किया।
को भारत ने पाकिस्तान से आकर बसने वाले प्रवासियों के लिए परमिट प्रणाली लागू की।
इस दिन से पहले पाकिस्तान से लौटे प्रवासी बिना किसी विषेश प्रक्रिया के भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते थे।
19 जुलाई 1948 के बाद यदि कोई व्यक्ति पाकिस्तान से भारत में स्थायी रूप से बसने आया, उसे भारत सरकार द्वारा जारी परमिट प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य था।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 6 के अनुसार, 19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से आये लोग नागरिकता पा सकते थे; इसके बाद आने वालों को परमिट पद्धति से गुजरना पड़ा।
उन लोगों के लिए है जो पहले पाकिस्तान गए और बाद में परमिट लेकर भारत लौटे।
अवैध प्रवास पर नियंत्रण और नागरिकता का सही निर्धारण।
देश की आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
दोनों देशों के बीच जनसंख्या की पहचान और सरकारी रिकॉर्ड का प्रबंधन।
समय सीमा | प्रक्रिया | नागरिकता की स्थिति |
---|---|---|
19 जुलाई 1948 से पहले | सीधे नागरिकता प्राप्त | बिना परमिट सीधे भारतीय नागरिकता |
19 जुलाई 1948 के बाद | परमिट की आवश्यकता, पंजीकरण अनिवार्य | निर्धारित प्रमाणपत्र के बाद नागरिकता |
यह सिस्टम विभाजन के बाद उपजे सामाजिक और कानूनी मसलों का हल निकालने के लिए लाया गया था, जिससे भारतीय नागरिकता का निर्धारण सुचारु रूप से हो सके।
Comments
Post a Comment