भारत में पहली बार आयकर कानून (Income Tax Act) 24 जुलाई 1860 को लागू किया गया।
भारत में पहली बार आयकर कानून (Income Tax Act) 24 जुलाई 1860 को लागू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य 1857 के विद्रोह के बाद सरकार को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई करना था। ब्रिटिश सरकार ने उस समय भारतीय जनसंख्या और आय के विभिन्न स्रोतों को ध्यान में रखते हुए यह कानून लागू किया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विशेषताएँ
प्रस्तावना: 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश सरकार को सैन्य खर्च और राजस्व घाटे को पूरा करना जरूरी था। इसी उद्देश्य से ब्रिटिश वित्तीय सचिव सर जेम्स विल्सन ने 1860 में भारत में पहला आयकर अधिनियम प्रस्तुत किया।
आरंभिक प्रावधान:
कालखंड: यह प्रयोग प्रारंभ में अल्पकालिक था और कई वर्षों में संशोधित/विस्तारित किया गया।
विकासक्रम
1886: पृथक आयकर अधिनियम पेश किया गया, जिसमें कृषि आय को करमुक्त घोषित किया गया।
1918: एक नया आयकर अधिनियम पारित हुआ।
1922: भारत में आयकर वसूली को केंद्रीयकृत और समेकित किया गया; ‘भारतीय आयकर अधिनियम 1922’ लागू हुआ, जो 31 मार्च 1962 तक प्रभावी रहा।
1961: एक नए व्यापक ‘आयकर अधिनियम 1961’ को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली, जो 1 अप्रैल 1962 से लागू हुआ और आज भी भारत में आयकर व्यवस्था का आधार है।
प्रशासन: आयकर अधिकारियों की नियुक्ति (जैसे निरीक्षक, सहायक आयुक्त, अपीलीय न्यायाधिकरण इत्यादि) की मजबूत व्यवस्था की गई।
राष्ट्रीय आयकर दिवस
24 जुलाई को ‘राष्ट्रीय आयकर दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, ताकि जनता को कराधान के इतिहास, उसकी भूमिका और आवश्यकता के बारे में जागरूक किया जा सके। यह परंपरा 2010 से शुरू हुई और इस दिन को भारत की कर-व्यवस्था में मील का पत्थर माना जाता है।
महत्व
आर्थिक आधार: आयकर अधिनियम ने भारत की कराधान प्रणाली की नींव रखी।
सुधार और विस्तार: समय-समय पर इसमें संशोधन और सुधार किए गए, जिससे कर-प्रशासन अधिक पारदर्शी एवं प्रभावी हुआ।
कृषि आय मुक्त: कृषि आय पर कर न लगना आज भी भारत की कर प्रणाली की प्रमुख पहचान है।
लोक जागरूकता: आयकर दिवस मनाने का उद्देश्य आर्थिक जिम्मेदारियों, पारदर्शिता एवं देश के विकास में नागरिकों की सहभागिता को प्रोत्साहित करना है।
निष्कर्ष
भारतीय आयकर अधिनियम की यात्रा 1860 से शुरू होकर कई महत्वपूर्ण बदलावों और सुधारों के साथ मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 तक पहुँची है। 24 जुलाई न केवल ऐतिहासिक, बल्कि आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है।
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